रविवार, 6 मार्च 2022

अश्वनी


ŚB 10.87.14

श्रीश्रुतय ऊचु:

जय जय जह्यजामजित दोषगृभीतगुणां

त्वमसि यदात्मना समवरुद्धसमस्तभग: ।

अगजगदोकसामखिलशक्त्यवबोधक ते

क्व‍‍चिदजयात्मना च चरतोऽनुचरेन्निगम: ॥ १४।।

10/87/14/AshwaniN1

हे अजित! आपकी जय, हो जय हो! झूठे गुण धारण करके चराचर जीव को आच्छादित करने वाली इस माया को नष्ट कर दीजिए। आपके बिना बेचारे जीव इसको नहीं मार सकेंगे- न ही पार कर सकेंगे। वेद इस बात का गान करते रहते हैं कि आप सकल सद्गुणों के समुद्र हैं।

10/87/14/वेद 1

The śrutis said: Victory, victory to You, O unconquerable one! By Your very nature You are perfectly full in all opulences; therefore please defeat the eternal power of illusion, who assumes control over the modes of nature to create difficulties for conditioned souls. O You who awaken all the energies of the moving and nonmoving embodied beings, sometimes the Vedas can recognize You as You sport with Your material and spiritual potencies.

प्रथम स्कंध अध्याय 1 से 7 तक। विस्तृत अध्ययन के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: 1to7 अश्वनी

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shwani N1 

अजित आप ही सर्व श्रेष्ठ हैं, आप पर कोई विजय नहीं प्राप्त कर सकता। आपकी जय हो, जय हो। प्रभु! आप स्वभाव से ही समस्त ऐश्वर्यों से पूर्ण हैं, इसलिए चराचर प्राणियों को फसाने वाली मायाका नाश कर दीजिए। प्रभु!इस गुणमयी मायानेदोष के लिए-जीवो के आनंदआदि में सहज स्वरूप का अच्छादन करके उन्हें बंधन में डालने के लिए ही सत्वआदि गुणों को ग्रहण किया है।जगत में जितनी भी साधना, ध्यान, क्रिया आदि शक्तियां है,उन सब को जगाने वाले आप ही हैं। इसलिए आपके मिटाए बिना यह माया मिट नहीं सकती। (इस विषय में यदि प्रमाण पूछा जाए तो आपकी श्वासभूता श्रुतिया ही-हम ही प्रमाण है।)

यद्यपि हम आप का स्वरूपत:वर्णन करने में असमर्थ हैं, परंतु जब कभी आप माया के द्वारा जगत की सृष्टि करके सगुण हो जाते हैं या उसको निषेध करके स्वरूपस्थितिकी लीला करते हैं अथवा अपना सच्चिदानंदस्वरूप श्रीविग्रह प्रकट करके क्रीडा करते हैं, तभी हम यतकिंचित आपका वर्णन करने में समर्थ होती है।





7 अश्वत्थामा द्वारा द्रोपदी के पुत्रों का मारा जाना और अर्जुन के द्वारा अश्वत्थामा का मान मर्दन

 अश्वत्थामा द्वारा द्रोपदी के पुत्रों का मारा जाना और अर्जुन के द्वारा अश्वत्थामा का मान मर्दन