नारद जी के पूर्व चरित्र का शेष भाग
हे अजित! आपकी जय, हो जय हो! झूठे गुण धारण करके चराचर जीव को आच्छादित करने वाली इस माया को नष्ट कर दीजिए। आपके बिना बेचारे जीव इसको नहीं मार सकेंगे- न ही पार कर सकेंगे। वेद इस बात का गान करते रहते हैं कि आप सकल सद्गुणों के समुद्र हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
7 अश्वत्थामा द्वारा द्रोपदी के पुत्रों का मारा जाना और अर्जुन के द्वारा अश्वत्थामा का मान मर्दन
अश्वत्थामा द्वारा द्रोपदी के पुत्रों का मारा जाना और अर्जुन के द्वारा अश्वत्थामा का मान मर्दन
-
प्रथम अवतार सृष्टिके आदिमें भगवान्ने लोकोंके निर्माणकी इच्छा की। इच्छा होते ही उन्होंने महत्तत्त्व आदिसे निष्पन्न पुरुषरूप ग्रहण किया।...
-
श्री सूत जी से शौनकादि ऋषियों का प्रश्न- मंगलाचरण जन्माद्यस्य यतोऽन्वयादितरतश्चार्थेष्वभिज्ञ: स्वराट् तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये मुह्यन्ति ...
-
भगवान के यश कीर्तन की महिमा और देवर्षि नारद जी का पूर्व चरित्र।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें